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यो न॑ इ॒दमि॑दं पु॒रा प्र वस्य॑ आनि॒नाय॒ तमु॑ वः स्तुषे । सखा॑य॒ इन्द्र॑मू॒तये॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yo na idam-idam purā pra vasya ānināya tam u vaḥ stuṣe | sakhāya indram ūtaye ||

पद पाठ

यः । नः॒ । इ॒दम्ऽइ॑दम् । पु॒रा । प्र । वस्यः॑ । आ॒ऽनि॒नाय॑ । तम् । ऊँ॒ इति॑ । वः॒ । स्तु॒षे॒ । सखा॑यः । इन्द्र॑म् । ऊ॒तये॑ ॥ ८.२१.९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:21» मन्त्र:9 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:2» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:9


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शिव शंकर शर्मा

प्रार्थना कर्त्तव्य है, यह दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे मित्रों ! (यः) जिस इन्द्र ने (नः) हम जीवों के सुख के लिये (पुरा) सृष्टि के आदि में ही (वस्यः) प्रशस्त (इदम्+इदम्) इस सम्पूर्ण जगत् और इन पदार्थों को (प्र+आनिनाय) लाया है (तम्+उ+इन्द्रम्) उसी परमात्मा की (वः+ऊतये) तेरी रक्षा के लिये (स्तुषे) स्तुति करते हैं ॥९॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यों ! जो इन अनन्त पदार्थों को भूमि पर प्रकाशित करता है, वही एक पूज्य है, अन्य नहीं ॥९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे प्रिय प्रजाजनो ! (यः) जो शूरवीर (नः) हमारे लिये (पुरा) प्रथम ही (इदमिदम्, वस्यः) यह सब उत्तम द्रव्य (आनिनाय) लाया है (उ, तम्) उसी (इन्द्रम्) ऐश्वर्ययुक्त शूर की (वः, ऊतये) आप लोगों की रक्षा के लिये (स्तुषे) मैं ऋत्विग् स्तुति करता हूँ ॥९॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में यह वर्णन किया है कि जो शूरवीर हमारी रक्षा करनेवाला तथा हमें उत्तमोत्तम पदार्थ देनेवाला है, उससे सुरक्षित होकर सब याज्ञिक लोग प्रथम उपकार को स्मरण करके स्वयं सत्कार करते और दूसरे से सत्कार कराने का प्रयत्न करते हैं ॥९॥
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शिव शंकर शर्मा

प्रार्थना कर्त्तव्येति दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - हे सखायः ! य इन्द्रः। पुरा=आदौ। वस्यः=प्रशस्तम्। इदम्+इदम्=इदं जगदादिवस्तु। नोऽस्माकं सुखाय। प्र+आनिनाय। तमु=तमेव। इन्द्रम्। वो=युष्माकम्। ऊतये=रक्षायै। स्तुषे=स्तौमि ॥९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे मित्रभूताः प्रजाजनाः ! (यः) यः शूरः (नः) अस्मभ्यम् (पुरा) पूर्वम् (इदमिदम्, वस्यः) इदं दृश्यमानं प्रशस्तधनम् (आनिनाय) आनीतवान् (तम्, उ) तं हि (इन्द्रम्) शूरम् (वः, ऊतये) युष्माकं रक्षायै (स्तुषे) ऋत्विगहं स्तौमि ॥९॥